Heart & Couple

क्या हिन्दू धर्म में समलैंगिकता अपराध है? (Is homosexuality a crime in Hindu religion)

धारा 377 समलैंगिकता (homosexuality) और समलैंगिक विवाह (homosexual marriage) को स्वीकृति दिये जाने के संबंध में चले विवाद के चलते अनेक भ्रांतियाँ समाज मैं फैल गई हैं। धर्म के ठेकेदार जो गाहे-बगाहे हिन्दू धर्म से संबन्धित झूठ फैलाते रहते हैं, असल में वो अज्ञानी और धूर्त हैं जिन्हें धर्म का कोई ज्ञान है ही नहीं। …

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Hindi

हिन्दी भी शान बढ़ाती है (Hindi is our Pride)

मैं केवल हिन्दी (Hindi) में ही क्यूँ लिखती हूँ? इस सवाल के कई संभावित जवाब हो सकते हैं। जैसे मुझे अँग्रेजी (English) का ज्ञान (knowledge) नहीं। या मेरी अँग्रेजी कमज़ोर है। हो सकता है मैंने हमेशा हिन्दी माध्यम से ही शिक्षा गृहण की हो। या फिर कुछ और भी कारण हो सकता है। मेरे पाठक …

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अन्तः चेतना की शक्ति (power of your subconscious)

आज जिस विषय पर लिखने जा रही हूँ उस पर बहुत से विश्वास नहीं करेंगे या शायद स्वीकार ना कर पाएँ। पर फिर भी मैं आज बात करना चाहती हूँ हमारे अन्तर्मन या अन्तः चेतना (subconscious) के सामर्थ्य और शक्ति (power) के विषय में। आज जिस युग में हम जी रहे हैं वो दौड़ भाग …

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घृणा ना बांटो शब्दों से

मैं क्यूँ लिखती हूँ? आखिर जो भी कोई लिखता है वो क्यूँ लिखता है? किस्से, कहानियाँ, विचार, आलोचना आदि। क्या चलता है किसी व्यक्ति के अंदर जो उसे कलम उठा कर कागज़ पर लिख देने की ज़रूरत महसूस होती है। शायद हमारे भीतर कहने के लिए अथाह सागर है और उसे बोल के सिर्फ गिने …

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“छपाक” और “थप्पड़”- एसिड के छींटे हों या पंजा पड़ा समाज के चेहरे पर (Acid or Slap, its on scoiety)

मैं उत्तर प्रदेश के एक बहुत छोटे से शहर फ़र्रुखाबाद में रहती हूँ। यहाँ बड़े मल्टीप्लेक्सेस नहीं है बस के सिनेप्लेक्स और कुछ निचले दर्जे के सिनेमाघर। हर बड़ी फ़िल्म यहाँ तक पहुँचती ही नहीं और आती भी है तो सिनेमाघर तक जाने की इक्षा नहीं होती। छोटे शहर की अपनी सीमाएं और रुकावटें होती …

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विशुद्ध प्रेम की अनुभूति

प्रेम, प्रेम मात्र एक अनुभूति नहीं है प्रेम जीवन का आधार है। प्रेम के बिना जीव, प्रकृति और जीवन सब कुछ ही नीरस है। प्रेम के अभाव में जीवन की कल्पना भी असंभव है। सरल, विशुद्ध, निस्वार्थ प्रेम ही इस संसार को साधे हुए है। अक्सर लोग कहते हैं कि जीवन में सच्चा प्रेम मात्र …

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book

पहली किताब जैसे पहला प्रेम (First Book like first love)

पहली किताब बिलकुल पहले प्रेम (love), पहली नौकरी या पहली संतान (child) की भांति होती है। उतनी ही मधुर और प्रिय। वैसे भी जो पहला होता है वैसा दूसरा कहाँ हो सकता है। मेरी पहली किताब “विश्वास और मैं” मेरा वो स्वप्न है जो मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि साकार होगा। अनगढ़ सा …

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