पीएमडीडी (PMDD) हो सकता है खतरनाक

इस लेख को लिखने के लिए मैं पिछले छः माह से प्रयास कर रही थी। पर इसे कागज़ पर उतारने में काफ़ी समय लग गया। कुछ माह पूर्व मुझे पता चला कि मैं पीएमडीडी (PMDD) यानि Pre-Menstrual dysphoric disorder से पीड़ित हूँ। बाद में जिसकी पुष्टि मेरे डॉक्टर (psychiatrist) ने भी की। अब आप सोच रहे होंगे कि मासिक चक्र से जुड़े रोग के लिए मैं एक मनोचिकित्सक से क्यों मिली। इसे जानने के लिए आपको यह लेख पूरा पढ़ना होगा।

“यदि आप महिला हैं, ट्रांस महिला हैं या आपकी लैंगिक पहचान (gender identity) जो भी हो, यदि आपको माहवारी (periods) होती है तो आप पीएमडीडी (PMDD) से ग्रसित हो सकती हैं और यह लेख आपके लिए है। हालांकि चाहे आपको पीरियड्स आते हों या नहीं, अपने परिवार या साथी की सेहत और मुश्किलों को समझने के लिए आपको यह लेख अवश्य पढ़ना चाहिए।”

प्री मेन्स्टृयल स्ट्रेस (pre menstrual stress) एक आम समस्या है और इसे हर वो व्यक्ति समझता है जिसे पीरियड्स आते हैं। साधारण भाषा में यदि समझें तो यह मासिक चक्र (menstrual cycle) के शुरू होने से कुछ समय पहले शुरू हो जाता है। जिसके कारण व्यक्ति को कई प्रकार की शारीरक एवं मानसिक उथल-पुथल का सामना करना पड़ता है।

पर आज का लेख है प्री मेन्स्टृयल डिस्फोरिक डिसॉर्डर (Pre-Menstrual dysphoric disorder) या पीएमडीडी (PMDD) के बारे में। इस समस्या के चलते मासिक चक्र के दौरान माहवारी से पहले और बाद में होने वाले पीएमएस (प्री-मेन्स्टृयल स्ट्रेस) की गहनता अत्यधिक बढ़ जाती है। जिसके कारण व्यक्ति में अवसाद (depression) और व्यग्रता (anxiety) एक गंभीर रूप लेने लगती है। इसके साथ ही हार्मोनल असंतुलन के कारण पनपने वाली शारीरिक और मानसिक समस्याओं के चलते व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने लगता है। जिसके कारण व्यक्ति की दिनचर्या व जीवन बाधित होता है।

इसे बेहतर समझने के लिए पहले पीएमएस (PMS) या प्री-मेन्स्टृयल स्ट्रेस को समझना होगा।

क्या होता है पीएमएस (What is PMS)

प्री-मेन्स्टृयल स्ट्रेस (pre menstrual stress) या जिसे हम पीएमएस (PMS) भी कहते हैं, मासिक चक्र के दौरान व्यक्ति के शरीर में होने वाले बदलाव या उथल-पुथल को कहते हैं। जिन्हें भी पीरियड्स आते हैं उनके लिए इसकी अवधि और होने का समय भिन्न हो सकता है। आमतौर पर पीएमएस, माहवारी (periods) से एक सप्ताह पूर्व शुरू हो जाता है और पीरियड शुरू होते ही खत्म हो जाता है। पर ऐसा आवश्यक नहीं कि सबके साथ ऐसा ही हो। कुछ महिलाओं या व्यक्तियों में ये माहवारी के पंद्रह दिन पूर्व भी शुरू हो जाता है और माहवारी के एक सप्ताह बाद तक भी चल सकता है।

पीएमएस के लक्षण (symptoms of PMS)

मासिक चक्र (menstrual cycle) के दौरान चिड़चिड़ापन (mood swings), सिर दर्द (headache), पीठ में दर्द (backache), एक या दोनों पैरों में दर्द या पूरे शरीर में दर्द (body ache), कब्ज़ (constipation), अवसाद (depression), स्तनों में भारीपन व दर्द (breasts tenderness and pain) आदि पीएमएस के प्रमुख लक्षण होते हैं। हालांकि हर व्यक्ति में अलग प्रकार के या सभी प्रकार के लक्षण हो सकते हैं।

पीएमएस का प्रभाव (effects of PMS)

यदि उपरलिखित सभी लक्षणों पर गौर किया जाए तो संभवतः यह समझाने की आवश्यकता ही नहीं रह जाती कि मासिक चक्र के दौरान इनसे जूझते हुए व्यक्ति पर किस प्रकार का प्रभाव पड़ता होगा। ज़ाहिर सी बात है यदि आप शरीर के किसी भी अंग में दर्द से लगातार पीड़ित रहें तो चिड़चिड़ाना एक आम प्रतिक्रिया होगी। परंतु इस परिस्थिति को केवल वे ही समझ पाते हैं जो इससे गुज़र रहे होते हैं। स्तनों में भारीपन व दर्द के चलते सामान्य दिनचर्या करना भी एक सज़ा जैसा लगता है। साथ ही इन सब लक्षणों से जूझते हुए दिनचर्या और उत्तरदायित्वों के साथ सामंजस्य बैठा कर जीवन को समान्यतः जीना कोई सरल कार्य नहीं होता।

क्या है पीएमडीडी या प्री-मेन्स्टृयल डिस्फोरिक डिसॉर्डर (what is PMDD or pre menstrual dysphoric disorder)

पीएमडीडी (PMDD) को आसान भाषा में समझने के लिए आपको बस इतना करना है कि पीएमएस के सभी लक्षणों की तीव्रता और गहनता को 50-100 प्रतिशत के बीच में बढ़ा देना है। जी हाँ, जब मासिक चक्र के दौरान होने वाले प्री-मेन्स्टृयल स्ट्रेस की अवधि बढ़ जाए और व्यक्ति में चिड़चिड़ापन, बदन दर्द, स्तनों में भारीपन व दर्द आदि समस्याएँ विकराल रूप धारण कर लें तो यह स्पष्ट है कि ये पीएमडीडी के लक्षण हैं और चिकित्सक से परामर्श लेने की आवश्यकता है।

पीएमडीडी के लक्षण (symptoms of PMDD)  

अवसाद (depression) हर समय रोते रहना या रोने की इक्च्छा होना, अत्यधिक व्यग्रता, बेचैनी या घबराहट (anxiety), अचानक से डर का हावी होना (panic attacks), चिड़चिड़ापन (mood swings) किसी से बात न करने का मन, अकेले व अंधेरे में कमरे में बंद रहने की इक्च्छा, स्तनों में अत्याधिक भारीपन व दर्द (extreme tenderness and pain in breasts), किसी काम में मन न लगना, शरीर में या किसी एक अंग में असहनीय दर्द होना, दाने या त्वचा रोग (acne or skin allergies) आदि पीएमडीडी के प्रमुख लक्षण होते हैं। यह लक्षण हर व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं या इसके अतिरिक्त भी कोई अन्य लक्षण हो सकता है।

पीएमडीडी का प्रभाव (effects of PMDD)

जब पीएमएस (PMS) के सभी लक्षण अपनी गहनता व गंभीरता बढ़ाकर विकराल रूप ले लेते हैं और पीएमडीडी (PMDD) बन जाते हैं तो व्यक्ति का जीवन और दिनचर्या बुरी तरह से बाधित होता है। इसका सबसे भयंकर प्रभाव देखा जा सकता है अवसाद (depression) या डर के हावी होने से आने वाले दौरों (panic attacks) के रूप में। जब शरीर में चल रहे हार्मोनल असंतुलन के चलते कुछ भी ठीक प्रकार काम नहीं कर रहा होता और दर्द से पीड़ित व्यक्ति कोई निदान नहीं निकाल पाता तो वह निढाल और निराश होने लगता है। इसी कारण व्यक्ति के अंदर अवसाद अपनी जगह बना लेता है और उसके साथ ही अन्य लक्षण जैसे panic attacks या व्यग्रता (anxiety) भी नियंत्रण बनाने लगते हैं। यदि उचित समय पर इसका उपचार न हो तो यह व्यक्ति का जीवन सम्पूर्ण रूप से नष्ट कर सकता है।

पीएमडीडी का इलाज (treatment of PMDD)

सबसे पहले यह समझना आवश्यक है कि असल में पीएमडीडी एक ऐसा रोग है जो मानसिक स्वास्थ्य को अपना शिकार बनाता है। इसलिए इसके प्रभाव से बचने या इसके उपचार के लिए एक मनोचिकित्सक का परामर्श आवश्यक है। यदि आपको ऐसा लग रहा है कि आप पीएमडीडी से ग्रसित हैं या उसकी संभावना है तो अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ (gynecologist) से परामर्श कर किसी मनोचिकित्सक (psychiatrist) से अवश्य संपर्क करें। केवल योग्य चिकित्सक ही आपको उचित परामर्श दे सकता है कि आपको दवाइयों के माध्यम से उपचार की अवश्यकता है या आपका इलाज थेरेपी (therapy) से भी संभव है। या फिर आपको दोनों की ही आवश्यकता है।

पीएमडीडी से मुक़ाबला करने के लिए स्वयं क्या करें

यदि आप पीएमडीडी की समस्या से जूझ रहे हैं तो अपने जीवन में कुछ छोटे-मोटे बदलाव करने से थोड़ा आराम मिल सकता है। जैसे: व्यायाम करें, पैदल चलें, कैफ़ीन (caffeine) न के बराबर लें और मन विचलित होने पर या अधिक व्यग्रता होने पर अपना मन-पसंद संगीत सुनें। ध्यान रखें इस परिस्थिति में जहाँ फास्ट-फूड और तैलिय भोजन की इक्च्छा बढ़ जाती है, वहीं आपको इस पर नियंत्रण पाना होगा और संतुलित व संयमित आहार लेना होगा। चिकित्सक के परामर्श पर विटामिन्स (vitamins) भी लिए जा सकते हैं। सबसे ज़रूरी है कि आप अपनी समस्या को अनदेखा न करें और परिवार या दोस्तों से बात अवश्य करें। अवसाद की स्थिति में केवल बात कर लेना ही बहुत फायदा देता है।

मेरा निजी अनुभव

सच कहूँ तो मुझे दो वर्ष हो गए इस समस्या को झेलते-झेलते। मुझे शुरू में समझ ही नहीं आया कि मेरे साथ हो क्या रहा है। इसलिए चिकित्सक से राय लेना भी आवश्यक है, ये समझने में काफ़ी समय लग गया। हालांकि मनोचिकित्सक से मिलने और पीएमडीडी की पुष्टि होने बाद भी मैं अब तक कोई कारगर उपचार नहीं ढूँढ पाई हूँ। क्योंकि जो दवाई मुझे दी गई थी उसके मुझे साइड-एफ़ेक्ट्स आ रहे थे। इसलिए मैंने अब तक केवल दो बार थेरेपी सेशन की सहायता ली है। उससे कुछ समय के लिए मन की उथल-पुथल अवश्य रुकी पर शरीर के अंदर उठने वाले भयानक तूफ़ान का कोई इलाज नहीं मिला। मैं अवसाद की चपेट में हूँ और उससे अकेले लड़ रही हूँ। अक्सर बेवजह रोती हूँ, शरीर दर्द से अक्सर तड़पती हूँ। त्वचा रोग (skin allergies) से ग्रस्त रहती हूँ। माहवारी के पंद्रह दिन पहले से मुझे तरह-तरह की समस्याएँ होने लगती हैं। इस तरह माह के तीन हफ़्ते बर्बाद हो जाते हैं और मेरे पास खुश रहने या ज़िंदा महसूस करने के लिए केवल एक सप्ताह बचता है। पिछले दो वर्षों से मेरी प्रोफेशनल लाइफ पूरी तरह से ठप्प पड़ी है। इसके बावजूद दिनचर्या और उत्तरदायित्वों को निभाना ही है।

ये निश्चित है कि पीएमडीडी से जूझने वाली मैं अकेली नहीं हूँ। संसार में अनेकों इस समस्या से जूझ रहे होंगे। पर मैंने इस मुद्दे पर अधिक चर्चा होते नहीं देखी। इस लेख के माध्यम से मेरा प्रयास है कि पीरियड्स से जुड़ी इस गंभीर समस्या पर चर्चा हो इसके समुचित निदान या उपचार की खोज की जाए। कमसेकम मानसिक स्वास्थ्य की गंभीरता को समझते हुए थेरेपी और उपचार का कोई सरल व सस्ता मार्ग खोजा जाए।

नोट: यह लेख पूरी तरह मेरी निजी जानकारी व अनुभव पर आधारित है। इसके बारे में अधिक जानकारी या उपचार के लिए कृपया योग्य चिकित्सक से परामर्श लें।

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